सोचो न कभी खुद को तन्हा यहाँ
हम सब हैं साथ तुम्हारे सदा,
तुम्हारे साये की तरह,
तुम महसूस तो करो।
महसूस करो हमारा होना तुम,
अपने खून की रवानी में,
दिल की धड़कन में,
अपनी हर साँस में।
हर धड़कन में है संदेश
हमारे प्यार का।
हर साँस में है महक
स्नेह, दुलार की,
हम सभी के विश्वास की,
तुम महसूस तो करो।
गुजारे जो दोस्त, यारों के संग,
बचपन के वो सुहाने दिन,
गुजर गये वो
हवा के झोंकों की तरह।
लड़खड़ा कर गिरना,
सँभलना फिर
वो माता-पिता की बाँहों में।
वो अपनों से झगड़ने का
मीठा एहसास,
अब भी है
दिल के किसी कोने में,
बन करके याद तुम्हारे आसपास,
तुम महसूस तो करो।
तुम महसूस तो करो
संग्रह की समस्त कवितायेँ
01 - मेरा भारत महान
02 - रहस्य जीवन का
03 - भूख
04 - इच्छाएँ
05 - बचपन की बेबसी
06 - सत्यता
07 - श्मशान
08 - कुदरत की रचना
09 - नारी के विविध रूप
10 - मानव
11 - याद तुम्हारी
12 - मानवता की आस में
13 - ऐ दिल कहीं और चलें
14 - अकाट्य सत्य
15 - कोई अपना न निकला
16 - उस प्यारे से बचपन में
17 - मेरा अस्तित्व
18 - मजबूरी
19 - डर आतंक का
20 - मौत किसकी
21 - जीवन सफर
22 - नारी
23 - सुनसान शहर की चीख
24 - एक ज़िन्दगी यह भी
25 - पिसता बचपन
26 - ग़मों का साया
27 - खामोशी
28 - तुम महसूस तो करो
29 - अपने भीतर से
30 - फूलों सा जीवन
31 - सत्य में असत्य
32 - स्वार्थमय सोच
33 - पत्र
34 - मानव-विकास
35 - यही नियति है?
36 - अंधानुकरण
37 - अन्तर
38 - वृद्धावस्था
39- जीवन-चक्र
40- आज का युवा
41-करो निश्चय
42- ज़िन्दगी के लिए
43- घर
44- अनुभूति
45- कलम की यात्रा
46- सुखों का अहसास
47- कहाँ आ गए हैं
48- किससे कहें...
49- आने वाले कल के लिए
50- तुम्हारा अहसास
51- दिल के करीब
कविता संग्रह