फूलों सा जीवन
फूलों का जीवन कोई
सरल नहीं होता।
सोता सेज पर काँटों की
पर हर पल
रहता है मुस्कराता।
वो जिन्दगी जो
है एक पल की उसे
दूसरों को
खुशी देने में बिताता।
न अपने लिए कभी बस
दूसरों के लिए जीता।
बिछुड़ कर भी डाली से
अपनी मुस्कान न खोता।
मुरझाने के बाद भी
अपनी सुगंध प्यार की
सबको देता।
गुँथ-गुँथ कर वो
एक लड़ी में,
हार गले का बनता।
और कभी किसी प्रिया के
शृंगार की शोभा बनता।
हे भगवन! मैं भी तुमसे
ऐसे जीवन की चाह करूँ।
बीतें जितने भी दिन धरती पर
औरों को खुश रखूँ।
दुःख और आँसू
ग़म के बादल औरों के
कुछ कम करना चाहूँ।
इतनी शक्ति मुझको देना
रोते को हँसाना चाहूँ।
नहीं चाह है मुझको इसकी
लम्बा सुखमय जीवन पाऊँ।
दिन हों जितने भी जीवन के
काम किसी के आता जाऊँ।
संग्रह की समस्त कवितायेँ
01 - मेरा भारत महान
02 - रहस्य जीवन का
03 - भूख
04 - इच्छाएँ
05 - बचपन की बेबसी
06 - सत्यता
07 - श्मशान
08 - कुदरत की रचना
09 - नारी के विविध रूप
10 - मानव
11 - याद तुम्हारी
12 - मानवता की आस में
13 - ऐ दिल कहीं और चलें
14 - अकाट्य सत्य
15 - कोई अपना न निकला
16 - उस प्यारे से बचपन में
17 - मेरा अस्तित्व
18 - मजबूरी
19 - डर आतंक का
20 - मौत किसकी
21 - जीवन सफर
22 - नारी
23 - सुनसान शहर की चीख
24 - एक ज़िन्दगी यह भी
25 - पिसता बचपन
26 - ग़मों का साया
27 - खामोशी
28 - तुम महसूस तो करो
29 - अपने भीतर से
30 - फूलों सा जीवन
31 - सत्य में असत्य
32 - स्वार्थमय सोच
33 - पत्र
34 - मानव-विकास
35 - यही नियति है?
36 - अंधानुकरण
37 - अन्तर
38 - वृद्धावस्था
39- जीवन-चक्र
40- आज का युवा
41-करो निश्चय
42- ज़िन्दगी के लिए
43- घर
44- अनुभूति
45- कलम की यात्रा
46- सुखों का अहसास
47- कहाँ आ गए हैं
48- किससे कहें...
49- आने वाले कल के लिए
50- तुम्हारा अहसास
51- दिल के करीब
कविता संग्रह