फूलों सा जीवन


फूलों का जीवन कोई
सरल नहीं होता।
सोता सेज पर काँटों की
पर हर पल
रहता है मुस्कराता।
वो जिन्दगी जो
है एक पल की उसे
दूसरों को
खुशी देने में बिताता।
न अपने लिए कभी बस
दूसरों के लिए जीता।
बिछुड़ कर भी डाली से
अपनी मुस्कान न खोता।
मुरझाने के बाद भी
अपनी सुगंध प्यार की
सबको देता।
गुँथ-गुँथ कर वो
एक लड़ी में,
हार गले का बनता।
और कभी किसी प्रिया के
शृंगार की शोभा बनता।
हे भगवन! मैं भी तुमसे
ऐसे जीवन की चाह करूँ।
बीतें जितने भी दिन धरती पर
औरों को खुश रखूँ।
दुःख और आँसू
ग़म के बादल औरों के
कुछ कम करना चाहूँ।
इतनी शक्ति मुझको देना
रोते को हँसाना चाहूँ।
नहीं चाह है मुझको इसकी
लम्बा सुखमय जीवन पाऊँ।
दिन हों जितने भी जीवन के
काम किसी के आता जाऊँ।

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