हर बात सुहानी लगती थी, उस प्यारे से बचपन में।
हम मौज मस्त में डूबे थे उस प्यारे से बचपन में॥
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वो प्यारे संगी साथी सारे, वे गाँव की धूल भरी गलियां।
ओढ़ के चादर अल्ल्हड़ता की, गलिओं में दौड़ा करते थे।।
खेतों की वो हरियाली से, मन का मतवाला हो जाना।
वो बाग़ बगीचों की मस्ती, पेड़ों पर झूला करते थे॥
सुहानी भोर की प्यारी धुन, ढलती शाम का मस्त समां।
सब कुछ अलबेला लगता था, उस प्यारे से बचपन में॥
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सावन के बलखाते झूलों से, उड़ करके नभ को छू लेना।
काले बादल की रिमझिम में, मस्ती में भीगा करते थे॥
थक करके जब भी आयें हम, माँ के आँचल की छाँव मिले।
दादी से किस्से सुन-सुन कर, सपनों में उड़ते रहते थे॥
पंछी की तरह से उड़ जाना, बहती नदिया जैसा बहना।
सब कुछ कितना मासूम सा था, उस प्यारे से बचपन में॥
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जीवन के तंग झमेलों में फंस, भूले बचपन की मुस्कानें।
न दौड़ सके फ़िर बागों में, फ़िर बारिश में न भीग सके॥
रुपया, पैसा, रोटी, कपड़ा, इस चक्रव्यूह में उलझ गए।
बचपन रूठा, घर भी छूटा, माँ के आँचल में फ़िर सो न सके॥
याद सुहाने बचपन की अब, इस दिल को धड़का देती है।
सिरहन सी मचती है तन में, मन को चंचल कर जाती है।।
थके हुए इस टूटे दिल की, अब तो इतनी ख्वाहिश है।
ले जाए फ़िर से कोई हमें, उस प्यारे से बचपन में॥
उस प्यारे से बचपन में
संग्रह की समस्त कवितायेँ
01 - मेरा भारत महान
02 - रहस्य जीवन का
03 - भूख
04 - इच्छाएँ
05 - बचपन की बेबसी
06 - सत्यता
07 - श्मशान
08 - कुदरत की रचना
09 - नारी के विविध रूप
10 - मानव
11 - याद तुम्हारी
12 - मानवता की आस में
13 - ऐ दिल कहीं और चलें
14 - अकाट्य सत्य
15 - कोई अपना न निकला
16 - उस प्यारे से बचपन में
17 - मेरा अस्तित्व
18 - मजबूरी
19 - डर आतंक का
20 - मौत किसकी
21 - जीवन सफर
22 - नारी
23 - सुनसान शहर की चीख
24 - एक ज़िन्दगी यह भी
25 - पिसता बचपन
26 - ग़मों का साया
27 - खामोशी
28 - तुम महसूस तो करो
29 - अपने भीतर से
30 - फूलों सा जीवन
31 - सत्य में असत्य
32 - स्वार्थमय सोच
33 - पत्र
34 - मानव-विकास
35 - यही नियति है?
36 - अंधानुकरण
37 - अन्तर
38 - वृद्धावस्था
39- जीवन-चक्र
40- आज का युवा
41-करो निश्चय
42- ज़िन्दगी के लिए
43- घर
44- अनुभूति
45- कलम की यात्रा
46- सुखों का अहसास
47- कहाँ आ गए हैं
48- किससे कहें...
49- आने वाले कल के लिए
50- तुम्हारा अहसास
51- दिल के करीब
कविता संग्रह