नारी के विविध रूप

भगवान की अद्भुत रचना ये नारी।
जिन्दगी की भाग्य-विधाता है ये नारी।।
जिन्दगी के अनेक रूपों में सजी ये नारी।
बेटी, बहिन, पत्नी कभी माँ बनी ये नारी।।
दया के रूप में माता मरियम बनी ये नारी।
आई गुस्से में तो चंडी, दुर्गा बनी ये नारी।।
जिन्दगी में पुरुषों के अधिकार में रही ये नारी।
पिता, पति और पुत्र के साये में पली ये नारी।।
मानी गई देवी न पूजी गई कभी भी ये नारी।
हुई सीता भी तिरस्कृत क्योंकि थी ये नारी।।
अब खुद अपनी पहचान बदलती ये नारी।
अब अपने अधिकारों को पहचानती ये नारी।।
पुरुषों के साथ कंधा मिला कर चलती ये नारी।
हर क्षेत्र में आगे ही आगे बढ़ती ये नारी।।
फिर भी अपने अस्तित्व को मिटाती ये नारी।
खुद नारी की दुश्मन बन जाती ये नारी।।
बहू को जलाती सास खुद भी है ये नारी।
अपने रूप को कोख में ही मारती ये नारी।।
अश्लीलता की अंधी दौड़ में भागती ये नारी।
नुमाइश का सामान खुद को बनाती ये नारी।।
इंसान क्या खुदा भी न समझा क्या है ये नारी।
सोचता ऊपर बैठा मेरी कैसी रचना है ये नारी।।

संग्रह की समस्त कवितायेँ

01 - मेरा भारत महान 02 - रहस्य जीवन का 03 - भूख 04 - इच्छाएँ 05 - बचपन की बेबसी 06 - सत्यता 07 - श्मशान 08 - कुदरत की रचना 09 - नारी के विविध रूप 10 - मानव 11 - याद तुम्हारी 12 - मानवता की आस में 13 - ऐ दिल कहीं और चलें 14 - अकाट्य सत्य 15 - कोई अपना न निकला 16 - उस प्यारे से बचपन में 17 - मेरा अस्तित्व 18 - मजबूरी 19 - डर आतंक का 20 - मौत किसकी 21 - जीवन सफर 22 - नारी 23 - सुनसान शहर की चीख 24 - एक ज़िन्दगी यह भी 25 - पिसता बचपन 26 - ग़मों का साया 27 - खामोशी 28 - तुम महसूस तो करो 29 - अपने भीतर से 30 - फूलों सा जीवन 31 - सत्य में असत्य 32 - स्वार्थमय सोच 33 - पत्र 34 - मानव-विकास 35 - यही नियति है? 36 - अंधानुकरण 37 - अन्तर 38 - वृद्धावस्था 39- जीवन-चक्र 40- आज का युवा 41-करो निश्चय 42- ज़िन्दगी के लिए 43- घर 44- अनुभूति 45- कलम की यात्रा 46- सुखों का अहसास 47- कहाँ आ गए हैं 48- किससे कहें... 49- आने वाले कल के लिए 50- तुम्हारा अहसास 51- दिल के करीब कविता संग्रह