ऐ दिल कहीं और चलें
हर ओर है आज दंगा, अत्याचार मचा,
माराकाटी के इस दौर से कोई नहीं बचा,
डरता हूँ मैं इस खूनी दौर से बहुत,
भाग कर इस दौर से ऐ दिल कहीं और चलें।
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नहीं जहाँ में चैन न अमन ही रहा,
मानव अब तो अपने साये से डर रहा,
कत्ल न कर दे कहीं खुद हमारा साया,
डर से कत्ल होने के ऐ दिल कहीं और चलें।
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लुट गये खजाने खुशियों के हम सभी के,
छीन ले गये हर खुशी दामन से हमारे,
गमगीन माहौल में जीना लगता है मुश्किल,
खुशी एक पल की पाने ऐ दिल कहीं और चलें।
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बसेगा कब चमन खुशहाली का यहाँ,
मिटाकर अँधेरा कब उजाला फैलेगा यहाँ,
चाह है एक सुन्दर शांतिमय संसार की,
जहाँ प्यारा सा बसाने ऐ दिल कहीं और चलें।
संग्रह की समस्त कवितायेँ
01 - मेरा भारत महान
02 - रहस्य जीवन का
03 - भूख
04 - इच्छाएँ
05 - बचपन की बेबसी
06 - सत्यता
07 - श्मशान
08 - कुदरत की रचना
09 - नारी के विविध रूप
10 - मानव
11 - याद तुम्हारी
12 - मानवता की आस में
13 - ऐ दिल कहीं और चलें
14 - अकाट्य सत्य
15 - कोई अपना न निकला
16 - उस प्यारे से बचपन में
17 - मेरा अस्तित्व
18 - मजबूरी
19 - डर आतंक का
20 - मौत किसकी
21 - जीवन सफर
22 - नारी
23 - सुनसान शहर की चीख
24 - एक ज़िन्दगी यह भी
25 - पिसता बचपन
26 - ग़मों का साया
27 - खामोशी
28 - तुम महसूस तो करो
29 - अपने भीतर से
30 - फूलों सा जीवन
31 - सत्य में असत्य
32 - स्वार्थमय सोच
33 - पत्र
34 - मानव-विकास
35 - यही नियति है?
36 - अंधानुकरण
37 - अन्तर
38 - वृद्धावस्था
39- जीवन-चक्र
40- आज का युवा
41-करो निश्चय
42- ज़िन्दगी के लिए
43- घर
44- अनुभूति
45- कलम की यात्रा
46- सुखों का अहसास
47- कहाँ आ गए हैं
48- किससे कहें...
49- आने वाले कल के लिए
50- तुम्हारा अहसास
51- दिल के करीब
कविता संग्रह