वृद्धावस्था


वृद्धावस्था

अपने बचपन की उन्मुक्तता
एवं अल्हड़ता को जीकर,
जवानी के जोश और उमंग को पीकर,
वक्त के धारे से हट गये हैं,
अपने आप में सिमट गये हैं।
ठहर गये हैं आकर
उम्र के आखिरी पड़ाव पर....
क्योंकि हम बूढ़े हैं।
कल तलक जो थाम कर चले थे
उँगली हमारी,
आज वो ही उँगली दिखा रहै हैं।
हमें समझ कर एक बेकार,
नाकारा बस्तु,
किसी कोने में,
किसी कबाड़खाने में लगा रहे हैं।
उन्हें हमारा लड़खड़ा कर
धीरे-धीरे चलना भाता नहीं
क्योंकि वे आज स्वयं दौड़ रहे हैं,
और हम दौड़ नहीं सकते....
क्योंकि हम बूढ़े हैं।
किसी अँधेरे कमरे में पड़ी,
टूटी खाट पर लेटे,
लग रहा है ऐसे कि
वर्षों पुरानी फोटो
जड़ी हो फ्रेम में जैसे।
जो सजी है किसी दिखावे के लिए,
महज किसी भुलावे के लिए।
ऐसा नहीं कि
हमें कुछ करने का ज़ज़्बा नहीं,
पर हमारा सामने आना
उन्हें भाता नहीं।
बस अँधेरों में घिर गये हैं....
क्योंकि हम बूढ़े हैं।
अब आज के युवाओं को
हमारी चाहत नहीं,
उन्हें हमारे अनुभवों और
तजुर्बों की जरूरत नहीं।
वे जीना चाहते हैं
आज की तेज रफ्तार ज़िन्दगी को
बेरोकटोक।
और हम उन्हें
बेतहाशा भागते देखकर भी
हैं खामोश।
हमारे समझाने पर वे
हमें बताते हैं
पीढ़ियों का अन्तर,
समझाते हैं आज की ज़िन्दगी
जीने का मन्तर,
और हम पड़े-पड़े
अँधेरे कमरे में,
बस सोचते रहते हैं,
आँसुओं को पीते रहते हैं....
क्योंकि हम बूढ़े हैं।

संग्रह की समस्त कवितायेँ

01 - मेरा भारत महान 02 - रहस्य जीवन का 03 - भूख 04 - इच्छाएँ 05 - बचपन की बेबसी 06 - सत्यता 07 - श्मशान 08 - कुदरत की रचना 09 - नारी के विविध रूप 10 - मानव 11 - याद तुम्हारी 12 - मानवता की आस में 13 - ऐ दिल कहीं और चलें 14 - अकाट्य सत्य 15 - कोई अपना न निकला 16 - उस प्यारे से बचपन में 17 - मेरा अस्तित्व 18 - मजबूरी 19 - डर आतंक का 20 - मौत किसकी 21 - जीवन सफर 22 - नारी 23 - सुनसान शहर की चीख 24 - एक ज़िन्दगी यह भी 25 - पिसता बचपन 26 - ग़मों का साया 27 - खामोशी 28 - तुम महसूस तो करो 29 - अपने भीतर से 30 - फूलों सा जीवन 31 - सत्य में असत्य 32 - स्वार्थमय सोच 33 - पत्र 34 - मानव-विकास 35 - यही नियति है? 36 - अंधानुकरण 37 - अन्तर 38 - वृद्धावस्था 39- जीवन-चक्र 40- आज का युवा 41-करो निश्चय 42- ज़िन्दगी के लिए 43- घर 44- अनुभूति 45- कलम की यात्रा 46- सुखों का अहसास 47- कहाँ आ गए हैं 48- किससे कहें... 49- आने वाले कल के लिए 50- तुम्हारा अहसास 51- दिल के करीब कविता संग्रह