दिल के करीब

कोई तो है जो
दिल के आसपास रहता है सदा,
अपने अहसास,
अपनी उपस्थिति को
दर्शाता है सदा।
उसके पास होने का
अहसास मात्र ही
तन्हा नहीं होने देता है कभी,
नहीं होने देता है उदास,
न ही परेशान।
लगा रहता है.......मन में
सदा यही..........कि
उदासी का एक लम्हा ही
उदास कर जाएगा उसे भी,
जो है दिल के आसपास
अपनी याद के सहारे,
एक मीठे अहसास के सहारे।
पर..........इस मीठे अहसास के पीछे भी
एक दर्द है छिपा,
वह.........
बहुत पास होकर भी
बहुत दूर है अभी,
आंखों के सामने है फ़िर भी
हाथों की पहुँच से दूर है अभी।
आवाज़ उसकी, दिल तक हमारे पहुँचती है,
हवा में उड़-उड़ कर
उसकी खुशबू फैलती है।
अहसास के सहारे वह
रहता है आसपास
पर......
हकीकत में बहुत दूर है अभी।
लेकिन यही क्या कम है कि
यादों के सहारे ही सही,
अहसास के सहारे ही सही,
हवा में फैलती खुशबू के रूप में ही सही,
कोई है तो हमारा अपना
जो........
दूर होकर भी बहुत,
दिल के करीब है बहुत।

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