सफलता की ओर बढ़ते कदमों को
मत रोको,
मंजिल की ओर बढ़ते कदमों को
मत मोड़ो।
सफलता की राह
बहुत संघर्षों से मिलती है,
छेड़ी है जो संघर्ष की जंग
उसे बीच में मत छोड़ो।
अनायास रुकने वाले कदमों को
फिर से उठा पाना
सम्भव नहीं,
वे लोग फिर न बढ़ने देंगे
मंजिल को
जो बनाते रहे थे राह में
गड्ढों को।
ये सारा जहाँ तुम्हारे रुकने पर
प्रश्नों और निगाहों की मार से
लहुलुहान कर देगा।
तुम्हारे रुकने का
मंतव्य समझे बिना ही
तुम्हें नाकारा सिद्ध कर देगा।
कर देगा तुम्हें मजबूर
फिर उसी जगह ठहर जाने को,
न आगे बढ़ पाने को।
फिर भी रोकना चाहते हो
अपने कदमों को,
एक पल को, तो
किसी की मदद के लिए रोको,
गिरते को उठाने को रोको।
निःस्वार्थ किसी के लिए
खुद को झुकाना बुरा नहीं।
मगर याद रखो कि
इस जहाँ ने हमेशा
उगते सूरज को नमन किया है।
खुद को
संघर्ष की आग में तपा कर
सूरज बनाओ,
इस जहाँ से
दूर अँधियारा भगाओ।
और फिर कोने-कोने में
तुम्हारा तेज होगा,
ये सारा जहाँ
तुम्हारे आगे नतमस्तक होगा।
करो निश्चय
संग्रह की समस्त कवितायेँ
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02 - रहस्य जीवन का
03 - भूख
04 - इच्छाएँ
05 - बचपन की बेबसी
06 - सत्यता
07 - श्मशान
08 - कुदरत की रचना
09 - नारी के विविध रूप
10 - मानव
11 - याद तुम्हारी
12 - मानवता की आस में
13 - ऐ दिल कहीं और चलें
14 - अकाट्य सत्य
15 - कोई अपना न निकला
16 - उस प्यारे से बचपन में
17 - मेरा अस्तित्व
18 - मजबूरी
19 - डर आतंक का
20 - मौत किसकी
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23 - सुनसान शहर की चीख
24 - एक ज़िन्दगी यह भी
25 - पिसता बचपन
26 - ग़मों का साया
27 - खामोशी
28 - तुम महसूस तो करो
29 - अपने भीतर से
30 - फूलों सा जीवन
31 - सत्य में असत्य
32 - स्वार्थमय सोच
33 - पत्र
34 - मानव-विकास
35 - यही नियति है?
36 - अंधानुकरण
37 - अन्तर
38 - वृद्धावस्था
39- जीवन-चक्र
40- आज का युवा
41-करो निश्चय
42- ज़िन्दगी के लिए
43- घर
44- अनुभूति
45- कलम की यात्रा
46- सुखों का अहसास
47- कहाँ आ गए हैं
48- किससे कहें...
49- आने वाले कल के लिए
50- तुम्हारा अहसास
51- दिल के करीब
कविता संग्रह